योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है जिसका अर्थ जोड़ना है. योग शब्द योग की क्रियाओं से स्पष्ट होता है. योग में यौगिक क्रियाओं द्वारा शरीर, मन और आत्मा के बीच संयोग स्थापित होता है जिससे आत्मिक संतोष प्राप्त होता है. प्राचीन मान्यता है कि स्वस्थ शरीर में ही ईश्वर बसता है. शरीर बीमार होगा तो आप अपने बारे में ही सोचेंगे अपने स्वास्थ्य के ऊपर ही केन्द्रित रहेंगे. ऋषियों ने शरीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही योग का जन्म दिया.
योग का जन्म – History of Yoga
पुरातत्ववेत्ताओं ने जो साक्ष्य प्राप्त किये हैं उनसे पता चलता है कि योग की उत्पत्ति 5000 ई. पू. में हुई होगी. गुरू शिष्य परम्परा के द्वारा योग का ज्ञान परम्परागत तौर पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलता रहा. लगभग 200 ई0 पू. पू. में महर्षि पतंजलि ने योग को लिखित रूप में संग्रहित किया और योग-सूत्र की रचना की. योग-सूत्र की रचना के कारण पतंजलि को योग का पिता कहा जाता है. योग किसके लिए योग किसी भी उम्र के स्वस्थ स्त्री पुरूष कर सकते हैं. स्वास्थ्य सम्बनधी परेशानियों में भी योग किया जा सकता है लेकिन इसमें कुछ सावधानायों का ख्याल रखना होता है. जो व्यक्ति शरीर को बहुत अधिक घुमा फिरा नहीं सकते हें वह भी कुर्सी पर आराम से बैठकर योग कर सकते हैं. योग हर किसी की जरूरत है. कामकाजी लोग अपने दफ्तर में भी कुछ देर योग करके अत्यधिक काम के दबाव के बावजूद भी खुद को तरोताजा महसूस कर सकते हैं. शारीरिक कार्य करने वाले जैस खिलाड़ी, एथलिट्स, नर्तक अपने शरीर को मजबूत, उर्जावान और लचीला बनाए रखने के लिए योग कर सकते हैं. छात्र मन की एकाग्रता और ध्यान के लिए योग कर सकते हैं। योग के प्रकार – Types of Yoga योग के कई प्रकार हैं जिनमें कुछ प्रमुख योग के प्रकार हैं- हठयोग, कर्मयोग, राजयोग, मंत्रयोग, तंत्र योग. यहां आगे हम सिर्फ हठयोग के बारे में लिखेंगे. योग आवश्यक – Why yogs ia necessory? योग हमारे लिए हर तरह से आवश्यक है. यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. योग का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन अर्थात योग बनाना है. योग के उद्देश्य को पूरा करने के लिए मुद्रा, ध्यान और श्वसन सम्बन्धी अभ्यास की आवश्यकता होती है. योग की क्रियाओं में जब तन, मन और आत्मा के बीच योग बनता है तब आत्मिक संतुष्टि, शांति और चेतना का अनुभव होता है. इसके अतरिक्त योग शारीरिक और मानसिक रूप से भी फायदेमंद है. योग शरीर को शक्तिशाली एवं लचीला बनाए रखता है साथ ही तनाव से भी छुटकारा दिलाता है जो रोजमर्रा की जि़न्दगी के लिए आवश्यक है. योग से शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास होता है. योग करने वाले वृद्धावस्था में भी चुस्त दुरूस्त रहते हैं. आयु के संदर्भ में भी योग लाभप्रद है.
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