Family importance of yoga in hindi? l योग का पारिवारिक महत्व in Hindi?
पारिवारिक महत्व:
Family importance of yoga in hindi? योग का पारिवारिक महत्व in Hindi? व्यक्ति के विकास की नींव परिवार ही होती है,परिवार निर्माण एक ऐसी विशिष्ट साधना है, जिसमें श्रद्धा, विश्वास, त्याग, तपस्या, प्रतिभा और संयम का परिचय देना पड़ता है।
परिवार समाज की इकाई होती है।
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लोभ,मोह, अहंकार का त्याग कर संतोषी, विनम्र और विवेकशील होकर अपने कर्तव्यों को निभाते हुए जो इस योग पथ पर चलते है, वही सही अर्थों में सद्गृहस्थ कहलाते है।
हमारे भारतीय संस्कृति में गृहस्थ एक तपोवन है। की संज्ञा दी गई है।
परंतु इस समय समाज में एकल परिवारों का चलन से हो गया है, जिसके कारण परिवारों में अनेक प्रकार के समस्या उतपन्न होने लगा है।
क्योंकि इसमें नैतिक मूल्यों की ह्रास हो रहा है। इन सभी समस्याओं का समाधान योग में संभव है।
अष्टांग योग में आठ अंग होते हैं जिसमें यम और नियम है जो हमारे व्यवहारिक पक्ष को शुद्ध करता है और हमें निर्मल बनता है।
योग युक्त जीवन जीने वाले मनुष्य अच्छे परिवार की रचना कर सकता है।
क्योंकि योग के अंतर्गत जितनी भी साधना पद्धतियां है, उनके द्वारा बताए गए शान्ति, प्रेम, सहयोग, संयम, सहिष्णुता, साधना, सत्कर्म और धैर्य के मार्ग से ही अपने और अपने परिवार को सुखमय बनाया जा सकता है। स्वार्थपरता और भौतिक सुखों को प्राप्त करने की चाह को सत्य, अहिंसा, अस्तेय और अपरिग्रह के द्वारा नियमित व नियंत्रित किया जा सकता है।
योग के यम और नियम तथा अनुशासित जीवन पद्धति को अपनाकर पारिवारिक उन्नति की जा सकती है। इस तरह से योग के मार्ग पर चलकर परिवार को सुसंस्कारित और श्रेष्ठ जीवन बनाया जा सकता है।
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